पलवल, 15 अक्तूबर। उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठï ने जिला के किसानों का आह्वान किया है कि वे फसल अवशेष में आग न लगाए, बल्कि सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही फसल अवशेष प्रबंधन योजना का लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि किसान कृषि यंत्रों से धान की पराली को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ा सकते हैं या स्ट्रा बेलर मशीन से पराली की गांठ बनाकर सरकार द्वारा दी जा रही एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकते हैं। फसल अवशेष प्रबंधन की नीति अपनाकर आय का अतिरिक्त स्रोत बना सकते हैं।
उपायुक्त ने कहा कि सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन की महत्वपूर्ण योजना क्रियान्वित की जा रही है। इसे लेकर किसानों को फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्रों सुपर सीडर, जीरो टिलेज मशीन, स्ट्रा चोपर, हैपी सीडर एवं रिवर्सिबल प्लो अनुदान पर दिए जाते हैं। किसान इन कृषि यंत्रों का प्रयोग करके पराली को मिट्टी में मिलाकर जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं या स्ट्रा बेलर मशीन से पराली की गांठ बनाकर सरकार द्वारा दी जा रही एक हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का लाभ उठा सकते हैं।
फसल अवशेष जलाने वालों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
जिला उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठï ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के दृष्टिगत माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार फसल अवशेष जलाने वाले किसानों से जुर्माना वसूल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दो एकड़ तक भूमि रकबा में फसल अवशेष या पराली जलाने पर 2 हजार 500 रुपए व तथा 5 एकड़ रकबा में फसल अवशेष जलाने पर 5 हजार रुपए और पांच एकड़ से अधिक रकबा जमीन पर फसल अवशेष जलाने पर 15 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
गठित टीमें रख रही है लगातार निगरानी
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठï ने बताया कि पलवल जिला में संबंधित एसडीएम की देखरेख में रैड जोन व यैलो जोन सहित जिन गांवों में धान की फसल बोई गई है, उन गांवों में गांव अनुसार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों, गांव के पटवारी, ग्राम सचिव, नोडल अधिकारियों, राजस्व व पंचायत विभाग के अधिकारियों, पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की इंफोर्समेंट, सुपरविजन व मॉनिटरिंग के लिए ड्यूटी निर्धारित की गई है, जो लगातार निगरानी रखने के साथ-साथ किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरूक भी किया जा रहा है।