कांग्रेस कार्यकर्ताओं और ऑल दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन (रजि0) ने ऑटो टैक्सी चालकों की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया- पुलिस ने कांग्रेस नेताओं और यूनियन के लोगों को मौके पर गिरफ्तार किया।

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर, 2020 – कांग्रेस कार्यकर्ताओं और ऑल दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन (रजि0)  ने आज दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के गलत निर्णयों के कारण भारी संकट से जूझ रहे ऑटो टैक्सी चालको को खड़ी हुई गाड़ियों की फोटो लेकर बेलगाम भेजे जा रहे चालानों और सरकार द्वारा 2019 के मोटर व्हीकल संशोधित बिल को तत्काल प्रभाव से वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के सिविल लाईन्स स्थित आवास का घेराव कर रहे थे, परंतु जैसे ही प्रदर्शन करने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता और ऑटो टैक्सी यूनियन के लोग वहां पहुॅचे, दिल्ली पुलिस ने केन्द्र सरकार और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के इशारे पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पुलिस इस तरह आक्रोशित थी कि उन्होंने रास्ते में खड़े ऑटों चालकों को गिरफ्तार कर लिया।


प्रदर्शन में प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री जय किशन, मुदित अग्रवाल, पूर्व विधायक वीर सिंह धींगान, परवेज आलम, ऑल दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन के अध्यक्ष कृष्ण वर्मा, संजीत सिंह राणा, रवि राठौर, योगेन्द्र श्रीवास्तव, सुरेन्द्र अमरावत, अच्छे लाल मुख्य रुप से मौजूद थे।


कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन के कारण ऑटो टैक्सी चालक आर्थिक संकट से जूझ रहे रहे है और उनके खड़े वाहनों के फोटो खीचकर कर चालान भिजवाए जा रहे है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा 2019 का मोटर व्हीकल संशोधित बिल के द्वारा ऑटो टैक्सी के चालान की दुगनी राशि का भुगतान करना पड़ रहा है। यह मांग की गई कि कोविड के दौरान सभी प्रकार के चालानों को निरस्त किया जाए।


कांग्रेस नेताओं और ऑटो टैक्सी यूनियन ने मांग की कि दिल्ली सरकार द्वारा ऑटो टैक्सी चालकों के वाहनों पर लगने वाली नाजायज़ धारा 66/192A को तत्काल प्रभाव से परिवहन विभाग की इंफोर्समेंट शाखा एवं दिल्ली ट्रैफिक पुलिस से वापस लिया जाए।


कांग्रेस नेताओं और ऑटो टैक्सी यूनियन ने मांग की कि दिल्ली एवं केंद्र सरकार द्वारा ऑटो-टैक्सी, स्कूल-कैब व अन्य यात्री वाहन चालकों के लोन पर बैंकों द्वारा ली जाने वाली ई.एम.आई. पर दो साल की छूट दी जाए और कोविड-19 महामारी लॉकडउन के काल में लिए जाने वाले ब्याज को पूरी तरह माफ किया जाए।

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