पलवल, 26 नवंबर। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण पलवल के तत्वावधान में माननीय जिला एवम् सत्र न्यायाधीश एवं चेयरमैन पुनीश जिंदिया के मार्गदर्शन में मंगलवार को संविधान दिवस के उपलक्ष्य में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पलवल के कांफ्रेंस हाल में सीजेएम मेनका सिंह के नेतृत्व में जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण पलवल द्वारा स्टाफ सहित संविधान की प्रस्तावना को दोहराया गया और संविधान की शपथ ली गई। सरस्वती लॉ कॉलेज व एमवीएन विश्वविद्यालय पलवल में विशेष जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों के माध्यम से मेनका सिंह द्वारा विद्यार्थियों को संविधान और नालसा एवं हालसा द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओ के बारे में जागरूक किया गया। इस अवसर पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं प्राधिकरण के सचिव मेनका सिंह ने सभी उपस्थित जन को इस 75वें संविधान दिवस के उपलक्ष्य में भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने बताया कि संविधान दिवस संवैधानिक आदर्शों के प्रति दृढ़ता को दोहरने का दिन है, क्योंकि यही वो आदर्श है जिन्होंने देश को प्रगति के पथ पर आगे बढऩे में सहायता की है। उन्होने कहा कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य देश के नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान कि भावना को बढ़ाना है और संविधान के बारे में लोगों को जागरूक करना है। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि साल 2015 में भारत सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था, क्योंकि आज ही के दिन 26 नवबर 1949 में संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को अपनाया गया था। उन्होने बताया कि भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है इसके कई हिस्से इंग्लैंड, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, आस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान जैसे देशों के संविधानों से लिए गए हैं। इस संविधान में कुल 511 धाराएं हैं और वर्तमान में 448 अनुछेद हैं। भारतीय संविधान का नारा सत्यमेव जयते है। उन्होंने बताया कि किसी देश को सुचारु रूप से चलाने के लिए संविधान की आवश्यकता होती है। संविधान कानूनों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो सरकार कि मूल संरचना और इसके कार्यों को निर्धारित करता है यह संविधान ही है जो अलग-अलग धर्मों एवं जातियों की भारत की 140 करोड़ की आबादी को एक देश की तरह जोड़ता है। इसी संविधान के तहत देश के सभी कानून बनते हैं और कानून बनने के बाद इन कानूनों की समीक्षा भी न्यायपालिका द्वारा संविधान के माध्यम से ही की जाती है। यह संविधान ही है जो हमें एक आज़ाद देश के आजाद नागरिक होने की भावना का एहसास करता है, जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं। वहीं दूसरी ओर मौलिक कर्तव्य हमें हमारी जिम्मेदारियों का एहसास कराते हैं। मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के साथ-साथ सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का निर्धारण भी संविधान द्वारा ही किया गया है। इसके अतिरिक्त संविधान द्वारा विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के कार्यों का निर्धारण और उनकी देश को चलाने में भूमिका का वर्णन भी संविधान में किया गया है। इसलिए कोई भी देश संविधान के बिना नहीं चल सकता। उन्होने बताया कि इस संविधान की आशा है कि सभी विद्यार्थी और भविष्य के नेता भारतीय संविधान को समझें, इसके नियमों का सम्मान करें और प्रतिदिन उसके मूल्यों का पालन करने का काम करें।
इन शिविरों में सरस्वती लॉ कॉलेज पलवल संचालक मनीषा मंगला, चीफ़ डिफेंस काउंसेल नवीन रावत, असिस्टेंट डिफेंस काउंसेल पिंकी शर्मा, प्रिन्सिपल एवं प्रवक्ता सरस्वती लॉ कॉलेज पलवल नरेश शर्मा, डारेक्टर एवं रजिस्ट्रार प्रवक्ता एम वी एन विश्वविद्यालय पलवल राहुल वाष्र्णेय, कोमल ने भी सम्मिलित होकर विशेष रूप से अपना-अपना सहयोग किया।