
पलवल, समाज में दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने और सम्मानजनक भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उपायुक्त डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि अब “विकलांग” जैसे पुराने शब्दों के स्थान पर “दिव्यांग”, “दिव्यांगजन” और “दिव्यांगता” शब्दों का उपयोग किया जाए।
डॉ. वशिष्ठ ने स्पष्ट किया कि “दिव्यांग” का अर्थ है – ‘दिव्य अंग वाला’, जो व्यक्ति की क्षमताओं को रेखांकित करता है, उसकी सीमाओं को नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि
🔸 “मानसिक मंदता” की जगह “बौद्धिक दिव्यांगता”
🔸 “गूंगा-बहरा” की जगह “श्रवण बाधित”
शब्दों का उपयोग अधिक सम्मानजनक और संवेदनशील दृष्टिकोण को दर्शाता है।
यह बदलाव सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक समानता और समावेशी सोच की दिशा में एक मजबूत कदम है। केंद्र सरकार की पहल के अनुरूप यह दिशा-निर्देश समाज में दिव्यांगजनों को आत्मसम्मान और पहचान दिलाने की दिशा में मदद करेगा।