
सोनीपत जिले के खरखौदा क्षेत्र की उभरती खिलाड़ी विधि ने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर नेटबॉल खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का मान बढ़ाया है। वे अब तक जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पचास से अधिक पदक, जिनमें करीब डेढ़ दर्जन स्वर्ण पदक शामिल हैं, जीत चुकी हैं।
विधि भारतीय महिला नेटबॉल टीम की कप्तानी भी कर चुकी हैं और उनका अगला सपना है कि वे ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतें। हाल ही में पलवल में हुई नेशनल फास्ट फाइट नेटबॉल चैंपियनशिप में भी वे हरियाणा टीम का नेतृत्व कर रही हैं।
खेल उनके लिए विरासत का हिस्सा है। उनके पिता बिजेंद्र कुमार कुश्ती में पहचान बना चुके हैं, वहीं चाचा सोमबीर आर्य कबड्डी के जाने-माने खिलाड़ी रहे हैं। मां संजीता शिक्षिका हैं और हमेशा बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती रही हैं।
विधि का सफर स्कूल से ही शुरू हुआ। पहले उन्होंने 100 और 200 मीटर दौड़ व बास्केटबॉल में हाथ आज़माया। लेकिन कद थोड़ा छोटा होने के कारण बास्केटबॉल की जगह नेटबॉल चुना और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। आठवीं कक्षा में नेटबॉल की शुरुआत करने वाली विधि नौवीं में ही सब-जूनियर नेशनल तक पहुंच गईं। इसके बाद उन्होंने तीन बार जूनियर नेशनल, चार बार सीनियर नेशनल और दो बार नेशनल गेम्स में दमदार खेल दिखाया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें नेपाल में पहली बार खेलने का मौका मिला। 2019 के साउथ एशियन गेम्स में उन्होंने टीम को रजत पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद हांगकांग में हुए बुहानिया कप में भी उनकी कप्तानी में भारत को सिल्वर मेडल मिला। साउथ कोरिया के यूथ एशियन गेम्स में टीम पांचवें स्थान पर रही।
सेंटर खिलाड़ी विधि का पूरा ध्यान अब कॉमनवेल्थ और ओलंपिक खेलों पर है। वे मानती हैं कि यदि खिलाड़ियों को कैश प्राइज के साथ रोजगार की गारंटी मिले, तो वे और ज्यादा उत्साह से खेल सकते हैं। विधि का सपना है कि देश का नाम रोशन कर वे सरकारी सेवा में भी स्थान प्राप्त करें।