
नई दिल्ली, 5 सितंबर 2025 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा 4 सितंबर, 2025 को जारी पत्र, जिसमें पुलिस के फॉर्मल गवाहों को थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गवाही देने की अनुमति दी गई है, एकतरफा और वकीलों के साथ विश्वासघात जैसा कदम है।
यादव ने बताया कि धारा 530 बीएनएसएस इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाही की इजाजत देती है, लेकिन अदालत में गवाह की प्रत्यक्ष उपस्थिति ही न्याय सुनिश्चित करती है। उन्होंने कहा कि यह आदेश वकीलों की हड़ताल को खत्म कराने के लिए अमित शाह से हुई बैठक में दिए गए आश्वासन के विपरीत है।
एडवोकेट सुनील कुमार, दिल्ली कांग्रेस के लीगल एंड ह्यूमन राइट्स विभाग के अध्यक्ष, ने इस आदेश का विरोध करते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी कभी भी फॉर्मल गवाह नहीं हो सकते और वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए गवाही से निष्पक्ष न्याय पर सवाल उठ सकते हैं।
सुनील कुमार ने चेतावनी दी कि इस तरह की प्रक्रिया दोषी को बचाने का अवसर दे सकती है और आम नागरिकों का न्यायपालिका पर भरोसा कम हो सकता है। उन्होंने पुलिस कमिश्नर से तुरंत आदेश रद्द करने की अपील की।