
पलवल, 5 जुलाई। जिला उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि पशुपालकों को पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग की योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि हरियाणा प्रदेश देश में दुग्ध उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रदेश की सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था में पशुधन का स्थान सदैव प्रमुख रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन किसानों व बेरोजगारों की आजीविका का प्रमुख साधन बन चुका है। जिले में पशुधन के क्षेत्र में विकास की गति को बढ़ाने की दिशा में हरियाणा सरकार द्वारा पशुपालकों के लिए विभिन्न प्रकार की लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही है, जिसे जिले के पशुपालकों को अपनाना कर अपनी आमदनी में इजाफा के साथ-साथ पशु उत्पादन में बढ़ोतरी कर देश की सकल घरेलू उत्पाद में अपना योगदान बढ़ाना चाहिए।
पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग के उपनिदेशक डा. विरेंद्र सहरावत ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा उपायुक्त के दिशा-निर्देशों के अनुसार जिला में पशुपालन से संबंधित योजनाओं और पशुओं को रोगों से बचाने के लिए समय-समय पर पशुपालकों को जागरूक किया जाता है। उन्होंने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं।
ये चलाई जा रही हैं योजनाएं
-देशी गायों के संरक्षण एवं गौ संवर्धन तथा एकीकृत मुर्रा विकास योजना-इस योजना के तहत पशुपालन विभाग की टीम द्वारा सार्वजनिक संस्थाओं में दुग्ध मापन का कार्य किया जाता है और जिन मुर्रा भैंसों तथा हरियाणा, साहीवाल तथा बिलाही गायों का दुग्ध उत्पादन रिकॉर्डिंग में नस्ल अनुसार बेंच मार्क से अधिक होता है, उन पशुपालकों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती हैं, जो कि 5 हजार रुपये से लेकर 40 हजार रुपये तक है।
-दुधारू पशुओं की हाइटेक डेयरी- विभाग की इस योजना का उद्देश्य पशुपालन गतिविधियों के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर पैदा करना, दुग्ध उत्पादन एवं डेयरी की समग्र उत्पादकता में वृद्धि करना, नस्लों के जर्मप्लाज्म को विकसित करना, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करना, कमजोर वर्गो की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को सुधारना है।
-इस योजना के तहत 1, 2, 3, 4, 10, 20 व 50 दुधारू पशुओं की डेयरी स्थापित करवाई जाती हैं, जिसमें 4 व 10 पशुओं की इकाई स्थापना के लिए एकमुश्त 25 प्रतिशत ( सामान्य वर्ग के लिए) तथा दो -तीन दुधारू पशुओं की इकाई के लिए अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 50 प्रतिशत अनुदान सहायता राशि दी जाती है।
-20 व 50 दुधारू पशुओं की इकाई की स्थापना के लिए लोन ली गई राशि पर 5 वर्ष तक लगने वाले ब्याज को विभाग द्वारा प्रतिपूर्ति सहायता राशि अनुदान के रूप में दी जाती है।
-एक दुधारू पशु की इकाई की स्थापना (केवल महिला पशुपालकों के लिए) के लिए एक लाख रुपए ऋण राशि पर 3 वर्ष तक लगने वाले ब्याज को विभाग द्वारा प्रतिपूर्ति सहायता अनुदान के रूप में दी जाती है।
-इसी तरह सूअर इकाई ( 10 मादा + एक नर सूअर) की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत की अनुदान राशि अनुसूचित जाति वर्ग के लिए और 25 प्रतिशत सामान्य वर्ग के लिए प्रदान की जाती है।
-भेड़-बकरी इकाई स्थापित करने के लिए इस योजना के तहत 15 बकरी + 1 मेढ़ा इकाई के लिए विभाग द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग को 90 प्रतिशत की अनुदान राशि तथा सामान्य वर्ग के पशुपालकों के लिए 25 प्रतिशत अनुदान राशि प्रदान की जाती है।
-बैकयार्ड कुक्कुट इकाई योजना के तहत बेरोजगार अनुसूचित जाति वर्ग और बी.पी.एल. परिवार के सदस्य के लिए विभाग द्वारा देसी नस्ल के 50 चूजे के साथ दो फीडर व दो वाटर ड्रिंकर लाभार्थियों को मुफ्त में घर द्वार पर उपलब्ध कराए जाते हैं।
-इसके अलावा पंडित दीन दयाल उपाध्याय सामूहिक पशुधन योजना के तहत जिले का प्रत्येक पशुपालक परिवार अपने पशुओं का रियायती दरों पर बीमा करवा सकता है।
इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए पोर्टल पर करें आवेदन
उन्होंने बताया कि जो पशुपालक इन योजनाओं के तहत लाभ लेना चाहता है वे SARAL.http://saralharyana.gov.in पोर्टल पर आवेदन कर सकता है। आवेदक स्वयं पोर्टल पर या फिर कॉमन सर्विस सेंटर/अंत्योदय केंद्र, अटल सेवा केंद्र, ई-दिशा केंद्र के माध्यम से अपना आवेदन जमा कर सकता है।