
पलवल, वर्षा ऋतु में जलभराव की संभावित स्थिति को देखते हुए पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने जिले के पशुपालकों और गौशाला में रहने वाले पशुओं के लिए जरूरी सावधानियां जारी की हैं। उपनिदेशक डॉ. विरेंद्र सहरावत के अनुसार, उपायुक्त डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ के निर्देश पर क्षेत्रीय पशु चिकित्सकों को स्थिति का निरीक्षण कर आवश्यक पशु चिकित्सा संसाधन उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए हैं।
पशुपालकों से अपील की गई है कि वे विभाग द्वारा जारी की गई जलभराव से जुड़ी हिदायतों का कड़ाई से पालन करें। विभाग ने पशुओं को मुंहखुर, गलघोटू, स्वाइन फीवर, शीप-पॉक्स जैसी संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण भी पूरा कर लिया है। साथ ही पशुओं को 12 अंकों वाला टैग लगवाना अनिवार्य किया गया है, ताकि आपातकाल में पहचान संभव हो सके।
वर्षा के दौरान कृमिनाशक दवाओं का उपयोग पशुओं को दिया जाना जरूरी है। इसके साथ ही, जल्द ही शुरू होने वाली रियायती पशुधन बीमा योजना में बीमा करवाना भी लाभदायक रहेगा, जो अकाल मृत्यु की स्थिति में मददगार होगा। जलभराव के खतरे से बचने के लिए पशुपालकों और गौशाला प्रबंधक समितियों को ऊंचे स्थानों पर निकासी और सुरक्षित आश्रय की योजना बनानी चाहिए। चारा और पानी की उचित मात्रा सुरक्षित स्थान पर भंडारित करें, और कीटनाशकों को भी सुरक्षित स्थान पर ही रखें ताकि जल स्रोत प्रदूषित न हों।
बारिश के मौसम में मक्खी-मच्छरों की संख्या बढ़ने से पशुओं को संक्रमण और बीमारियों का खतरा रहता है, जिससे उनकी उत्पादकता पर असर पड़ता है। इस कारण कीटनाशक छिड़काव और मच्छरदानी का उपयोग आवश्यक है। पशुपालकों को जलभराव के दौरान और बाद में स्थानीय पशु चिकित्सा कर्मियों से संपर्क बनाए रखना चाहिए ताकि समय पर मदद मिल सके।
उप निदेशक डॉ. सहरावत ने बताया कि उपायुक्त के निर्देशानुसार जिले में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए 26 टीमों का गठन किया गया है और एक बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है, जो आपातकालीन स्थिति में प्रभावी सहायता प्रदान करेगा।