नई दिल्ली, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री देवेंद्र यादव ने छठ महापर्व के अवसर पर श्रद्धालुओं के बीच पहुंचकर उन्हें शुभकामनाएं दीं और यमुना नदी की भयावह स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की लापरवाही और प्रशासनिक अक्षमता के कारण पूर्वांचल के श्रद्धालुओं को आज प्रदूषित व जहरीले पानी में आस्था की डुबकी लगानी पड़ रही है।
आईटीओ छठ घाट पर श्रद्धालुओं के साथ शामिल होकर श्री यादव ने कहा कि “सितंबर में यमुना के पानी में फीकल कोलीफार्म का स्तर 1800 था, जो अक्टूबर में बढ़कर 8000 तक पहुंच गया है। ऐसे दूषित पानी में स्नान का अर्थ बीमारियों को आमंत्रण देना है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में यमुना की सफाई के नाम पर आम आदमी पार्टी सरकार ने 8000 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए, जबकि भाजपा भी केवल दिखावे की सफाई और प्रचार में लगी है। यमुना में मिल रहे सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट को रोकने में 12 में से कोई भी एसटीपी मानक पर खरा नहीं उतर रहा। दिल्ली नगर निगम भी अवैध नालों को रोकने में नाकाम साबित हुआ है।
श्री यादव ने यह भी कहा कि हथिनीकुंड से उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाले पानी को रोककर दिल्ली की तरफ मोड़ा गया ताकि ऊपर से यमुना कुछ हद तक साफ़ दिखाई दे सके। उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर आरोप लगाया कि वह झूठे दावे कर रही हैं जबकि टेरी (TERI) की रिपोर्ट बताती है कि यमुना की स्थिति नहाने योग्य नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि “सरकार ने झाग कम करने के नाम पर रासायनिक छिड़काव किया है, जिससे जल और अधिक विषैला हो गया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, पल्ला को छोड़कर कहीं भी यमुना का पानी नहाने लायक नहीं है।”
देवेंद्र यादव ने भाजपा पर वीआईपी संस्कृति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वासुदेव घाट दौरे के लिए पूरी सरकारी मशीनरी जुटा दी गई है। उन्होंने कहा, “जहां प्रधानमंत्री जाएंगे, वहां सर्वोत्तम सुविधाएं दी जा रही हैं, जबकि बाकी सैकड़ों घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं।”
उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार के समय छठ महापर्व के दौरान स्वच्छ घाटों के निर्माण की परंपरा शुरू की गई थी ताकि श्रद्धालु साफ वातावरण में पूजा कर सकें, लेकिन आप सरकार ने उस परंपरा को खत्म कर दिया। यमुना की सफाई के नाम पर अरबों रुपये खर्च होने के बावजूद हालात बदतर हैं।

