
पलवल, 10 जुलाई। पलवल जिला में खाद, बीज तथा कीटनाशक दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा गुणवत्ता की जांच के लिए उप निदेशक कृषि डा. अनिल सहरावत, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पंचकूला के विपणन अधिकारी डा. राकेश पोरिया व उपमंडल कृषि अधिकारी डा. अजीत सिंह की संयुक्त टीम ने पलवल शहर में स्थित खाद विक्रेताओं की दुकानों पर छापामारी करते हुए औचक निरीक्षण किया। छापामारी के दौरान टीम ने बंद दुकानों को खुलवाकर उनके स्टाक का मिलान किया जिसमें कई दुकानों का रिकॉर्ड दुरूस्त पाया गया तथा कई दुकानों के रिकार्ड में कमियां पाई गईं।
उप-निदेशक कृषि डा. अनिल सहरावत ने बताया कि खण्ड कृषि अधिकारी हसनपुर देवेंद्र कुमार द्वारा तेवतिया ट्रेडिंग कंपनी, बांके बिहारी जी खाद बीज भण्डार, श्री महादेव खाद बीज भण्डार, पुनीत खाद बीज भण्डार, श्री बालाजी इन्टरप्राइजेज, जय किसान खाद बीज भण्डार हसनपुर, खण्ड कृषि अधिकारी होडल सुभाष चंद्र द्वारा गणपति खाद भण्डार व गर्ग फर्टीलाईजर होडल तथा खण्ड कृषि अधिकारी प्रदीप कुमार द्वारा इमरान खाद भण्डार उटावड़, पवित्रा ट्रेडिंग कंपनी कोंडल, अंश खाद बीज भण्डार हथीन व विक्की खाद बीज भण्डार हथीन के रिकॉर्ड में निरीक्षण में दौरान खामियां पाई गईं। विभाग द्वारा उक्त सभी खाद विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित करते हुए कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है। यदि फर्म की ओर से कोई संतोषजनक जवाब प्राप्त नहीं होता है तो उनके लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिए जाएंगे।
उप-निदेशक कृषि ने कहा कि कृषि विभाग को लगातार दुकानदारों द्वारा यूरिया खाद का स्टॉक कर उसकी कालाबाजारी करने संबंधित शिकायतें मिल रही थीं। उन्होंने सख्त हिदायत देते हुए कहा कि यदि कोई भी खाद व कीटनाशक दवा विक्रेता कालाबाजारी करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन पलवल जिला में खाद व कीटनाशक दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए सजग एवं सतर्क है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पंचकूला के विपणन अधिकारी डा. राकेश पोरिया ने बताया कि विभाग की तरफ से इस प्रकार की छापेमारी लगातार जारी रहेगी। यदि खाद व कीटनाशक दवाओं की कालाबाजारी या गुणवत्ता संबंधी कोई भी अनियमितता पाई जाती है तो संबंधित दुकानदार के खिलाफ एफसीओ, 1985 के तहत कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी खाद विक्रेता अपना रिकार्ड दुरूस्त रखें, कालाबाजारी न करें तथा किसी अन्य उत्पाद को किसान को जबरदस्ती न बेंचे।