हरियाणा पुलिस अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए यह स्पष्ट करना चाहती है कि सरकारी दफ्तर जनता की सेवा के लिए बनाए गए हैं। इसका मकसद सिर्फ काम निपटाना नहीं, बल्कि जनता की समस्याओं को समझकर उनका समाधान करना है।
जनता से संवाद एक कला है।
यह कला ऑफिस के डिज़ाइन, कर्मचारियों के व्यवहार और मैनेजमेंट स्किल्स से जुड़ी है। इसलिए, हर ऑफिस में छोटे-छोटे बदलाव और सुव्यवस्था महत्वपूर्ण हैं।
ऑफिस व्यवस्था के सुझाव:
- समान कुर्सी और टेबल – सभी कर्मचारियों और आगंतुकों की कुर्सियाँ समान होनी चाहिए, जिससे सहज और सम्मानजनक माहौल बने।
- विजिटर रूम का निर्माण – यदि कांफ्रेंस हॉल उपलब्ध हो, तो आगंतुक वहीं बैठें। अन्यथा बड़े कमरे को विजिटर रूम बनाएं, जिसमें किताबें, चाय-पानी और आरामदायक वातावरण हो।
- सहायक कर्मचारी – एक व्यक्ति विजिटर्स को चाय-पानी दे, और एक प्रशिक्षित पुलिसकर्मी उनकी समस्याएं सुनकर सही समाधान की ओर मार्गदर्शन करे।
- पहुंच सुविधा – विजिटर रूम तक पहुंच आसान होनी चाहिए। संकेत और मार्गदर्शन स्पष्ट हों, ताकि कोई भटक न सके।
बच्चों और युवाओं के लिए प्रशिक्षण:
डीएवी पुलिस-पब्लिक स्कूल के छात्र स्वेच्छा सेवा में लगे, ताकि वे विजिटर्स को रिसीव करने और मार्गदर्शन देने का अनुभव सीखें। इससे बच्चों में संवेदनशीलता और सोशल स्किल्स भी बढ़ेंगी।
शिकायतों का व्यवस्थित निपटान:
- शिकायतें अगर सही हों, तो उन्हें दर्ज कर समाधान करें।
- झूठी शिकायतों की स्थिति में भी उचित रिकॉर्ड बनाए रखें और विवाद से बचें।
- जिम्मेदार पुलिसकर्मी को मोबाइल नंबर और संपर्क योजना दें ताकि कार्रवाई समय पर हो।
कर्मचारियों का मार्गदर्शन:
जो पुलिसकर्मी दिशा-निर्देश का पालन नहीं करते, उन्हें चेतावनी दें, प्रशिक्षित करें और जरूरत पड़ने पर अन्य जिम्मेदारी दें। याद रखें, पुलिस शक्ति के साथ सेवा भी है।
संदेश:
“खुश-अख़्लााक़ी – वह संपत्ति है जो हर दिल जीत सकती है। चेहरे की मुस्कान सबसे बड़ा धन है।”
हरियाणा पुलिस जनता के लिए खुली, स्वागतयोग्य और संवेदनशील सेवाओं की दिशा में लगातार काम कर रही है।
जय हिन्द।
— ओ.पी. सिंह, डीजीपी, हरियाणा
22 अक्टूबर 2025, चंडीगढ़

