
पलवल, 7 अगस्त। आज भी कई लोगों की यादों में वो पल ताज़ा हैं जब स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर मोहल्लों की गलियों में बच्चे तिरंगा हाथ में लेकर नारे लगाते, गीत गाते नज़र आते थे। वो खादी का तिरंगा, जो कभी बापू के चरखे से निकला था, अब तकनीक से जुड़कर डिजिटल जोश का प्रतीक बन गया है।
इस बार भारत सरकार ने आज़ादी के पर्व को हर दिल तक पहुँचाने के लिए ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की शुरुआत की है। इस पहल के तहत नागरिक तिरंगे के साथ अपनी सेल्फी harghartiranga.com वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं और उन्हें डिजिटल सर्टिफिकेट भी प्राप्त होगा। अपलोड की गई तस्वीरें पूरे देश से जुड़ाव का प्रतीक बन रही हैं।
तिरंगे का इतिहास और 2002 का नया मोड़
26 जनवरी 2002 से एक बड़ा बदलाव हुआ जब आम नागरिकों को साल के किसी भी दिन झंडा फहराने का अधिकार मिला। इससे पहले ये अधिकार केवल राष्ट्रीय पर्वों तक ही सीमित था। भारतीय झंडा संहिता में बदलाव के बाद अब कोई भी नागरिक, नियमों का पालन करते हुए, किसी भी दिन और स्थान पर तिरंगा फहरा सकता है।
अब रात में भी फहराएं तिरंगा, नियम हुए सरल
इस अभियान को और सशक्त बनाने के लिए सरकार ने तिरंगा फहराने के नियमों में भी बदलाव किए हैं। अब मशीन से बने या पॉलिएस्टर के झंडे भी उपयोग में लाए जा सकते हैं, और सूर्योदय से सूर्यास्त तक की सीमा हटाकर अब रात में भी तिरंगा फहराया जा सकता है – बशर्ते सम्मान और गरिमा का ध्यान रखा जाए।
अभियान का लक्ष्य:
15 अगस्त तक अधिक से अधिक घरों पर तिरंगा फहराना, ताकि हर कोना देशभक्ति के रंग में रंग जाए।