
सोनीपत, 4 सितंबर | जिला सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. श्रुति ने कहा कि प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम (पीसी-पीएनडीटी), 1994 का उल्लंघन किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं होगा। गर्भ में शिशु के लिंग का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड या किसी अन्य तकनीक का इस्तेमाल करना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
डॉ. श्रुति ने यह भी बताया कि लिंग चयन या इससे संबंधित सेवाओं का प्रचार करना भी कानूनन अपराध है। गर्भवती महिलाओं या उनके परिजनों को भ्रूण का लिंग बताना भी दंडनीय है। इसको रोकने के लिए सभी चिकित्सा केंद्रों का सहयोग अनिवार्य होगा और उन्हें समय-समय पर अपने केंद्रों का नवीनीकरण करवाना होगा।
डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बलदेव सिंह ने कहा कि जिले के अस्पतालों में मौजूद अल्ट्रासाउंड सेंटर, एक्स-रे लैब, डायग्नोस्टिक और इमेजिंग सेंटर सिर्फ पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत ही सेवाएं प्रदान करें। उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही रेडियोलॉजिस्ट और ऑपरेटरों को इस कानून के बारे में जागरूक करना जरूरी है और केंद्रों में केवल वही मशीनें रखी जा सकती हैं जिनके लिए अनुमति मिली हो।
इस बैठक में सीएमओ डॉ. ज्योत्स्ना, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. अलंकृता, डॉ. ज्योति, सामाजिक कार्यकर्ता और एडवोकेट जितेन्द्र के साथ कई हॉस्पिटल और डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक भी मौजूद थे।