
डीएवी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद के संस्कृत विभाग के नेतृत्व में IQAC और आर्य समाज इकाई के सहयोग से, ICSSR और हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की सहायता से आर्य समाज की 150वीं स्थापना जयंती पर दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस आयोजन का विषय था “स्वामी दयानंद सरस्वती का वैदिक दर्शन”, जिसमें भारत के 22 राज्यों और अमेरिका सहित विभिन्न देशों से विद्वान, शिक्षाविद और शोधार्थी शामिल हुए।
संगोष्ठी में कुल 8 सत्र आयोजित किए गए, जिनमें लगभग 120 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। मुख्य चर्चाओं में दयानंद सरस्वती के वैदिक विचार, समाज सुधार, स्त्री शिक्षा, पर्यावरण संतुलन, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सार्वभौमिक भाईचारा शामिल रहे।
मुख्य वक्ताओं ने साझा किया कि वैदिक ज्ञान ही भारत को विश्वगुरु बनाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, और शिक्षा तथा आचरण के माध्यम से समाज सुधार संभव है। सन्यास केवल बाहरी रूप से नहीं, बल्कि वेदज्ञान और आदर्श जीवन से सिद्ध होता है। डीएवी आंदोलन और गुरुदत्त विद्यार्थी के योगदान ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई।
संगोष्ठी के संयोजक डॉ. अमित शर्मा की पुस्तक “शब्द संवाद” का विमोचन भी हुआ। महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य डॉ. नरेंद्र कुमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा न केवल इतिहास का हिस्सा है, बल्कि आधुनिक जीवन के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
इस कार्यक्रम ने स्पष्ट किया कि दयानंद सरस्वती के वैदिक दर्शन की प्रासंगिकता आज भी उतनी ही जीवंत है जितनी 19वीं सदी में थी। डीएवी शताब्दी महाविद्यालय का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और वैदिक विचारों को व्यापक स्तर पर स्थापित करेगा।