
पलवल, जिले के विभिन्न गांवों में कृषि विभाग की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उपायुक्त डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि विभागीय टीम गांव-गांव जाकर किसानों को बेलर, सुपर सीडर, मल्चर और चॉपर जैसे आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग की जानकारी दे रही है, ताकि खेतों में पराली जलाने की समस्या को रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को जलाने के बजाय उनका प्रबंधन करना न केवल मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखता है बल्कि पर्यावरण प्रदूषण को भी कम करता है। पराली जलाने वाले किसानों पर 5,000 से 30,000 रुपये तक का जुर्माना और एफआईआर दर्ज की जाएगी। साथ ही, “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर रेड एंट्री की जाएगी, जिससे संबंधित किसान दो सीजन तक एमएसपी पर अपनी उपज नहीं बेच पाएंगे।
जिन किसानों ने फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन किया, उन्हें सरकार की ओर से प्रति एकड़ 1200 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. बाबूलाल ने बताया कि पराली को न जलाने से मिट्टी के पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं, भूमि की जलधारण क्षमता बढ़ती है और पर्यावरण भी संतुलित रहता है।
अभियान के तहत कृषि अधिकारी ग्रामीणों के साथ-साथ स्कूलों में भी बच्चों को रैली और शपथ कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूक कर रहे हैं, ताकि वे अपने परिवार को भी इस दिशा में प्रेरित करें। विभागीय अधिकारी किसानों को बेलर और सुपर सीडर के प्रदर्शन के जरिए समझा रहे हैं कि कैसे इन मशीनों से खेतों की सफाई के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण भी संभव है।