नई दिल्ली, 5 नवम्बर 2025 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भाजपा सरकार पर ऐतिहासिक सांस्कृतिक परंपराओं को खत्म करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 200 वर्षों से लगातार आयोजित होने वाला प्रसिद्ध त्यौहार ‘फूल वालों की सैर’ इस वर्ष प्रशासनिक कारणों और भाजपा की संकुचित मानसिकता के चलते रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल दिल्ली की पहचान पर प्रहार है, बल्कि गंगा-जमुनी तहज़ीब की भावना को भी ठेस पहुंचाने वाला है।
यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल को राजधानी के विकास और सौहार्द को बढ़ावा देना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय उन्होंने सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बने इस ऐतिहासिक उत्सव को अनुमति नहीं दी। डीडीए और वन विभाग की जटिलताओं में फंसे इस आयोजन को अंततः निरस्त करना पड़ा, जबकि सरकार के किसी वरिष्ठ नेता ने इस पर कोई प्रतिक्रिया देना भी उचित नहीं समझा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा पर आरोप लगाया कि जब दिल्ली वायु प्रदूषण, टूटी सड़कों और जल-संकट जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही है, तब सरकार अपनी मूल जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ कर सांस्कृतिक आयोजनों पर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि शायद भाजपा को इस पर्व का मुगल इतिहास खटकता है, क्योंकि वह लगातार शैक्षणिक पाठ्यक्रमों से मुगल काल की जानकारी मिटाने की कोशिश में लगी है।
देवेंद्र यादव ने याद दिलाया कि ‘फूल वालों की सैर’ की शुरुआत 1811 में हुई थी, जिसे अंग्रेजों ने 1942 में बंद किया था, लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1962 में इसे पुनः आरंभ कराया। महरौली के जहाज महल आम बाग में मनाया जाने वाला यह उत्सव, ख्वाजा बख्तियार काकी की दरगाह और योगमाया मंदिर में फूलों की चादर और पंखा चढ़ाने की परंपरा से जुड़ा है — जो हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल है।
उन्होंने कहा कि यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि दिल्ली की सांस्कृतिक विविधता और भाईचारे का प्रतीक है। कुश्ती, कबड्डी और पेंटिंग जैसी प्रतियोगिताओं से सजे इस महोत्सव का इस वर्ष न होना दिल्लीवासियों के लिए गहरी निराशा का कारण बना। यादव ने कहा कि त्योहार पर रोक लगाकर भाजपा ने दोनों समुदायों की भावनाओं को आहत किया है और यह सोचकर गलती की है कि इससे उन्हें राजनीतिक लाभ मिलेगा, जबकि यह फैसला पूरे समाज को दुखी कर गया।

