सोनीपत, 18 नवंबर। नशा मुक्त भारत अभियान के तहत मंगलवार को लघु सचिवालय स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में जिला प्रशासन ने एक विशेष शपथ समारोह आयोजित किया। इस कार्यक्रम में उपायुक्त सुशील सारवान ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को नशे के खिलाफ प्रतिज्ञा दिलाई। उन्होंने कहा कि नशा वह घातक समस्या है जो युवाओं की ऊर्जा को नष्ट करती है और समाज में गंभीर असंतुलन पैदा करती है। उपायुक्त ने जोर देकर कहा कि नशामुक्त समाज की दिशा में पहला कदम जागरूकता है—और इस दिशा में हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
उपायुक्त ने बताया कि जिले में नशा रोकथाम को शीर्ष प्राथमिकता दी जा रही है। पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और कई सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से व्यापक स्तर पर जागरूकता कैंपेन चलाए जा रहे हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी विभाग अपने क्षेत्र—चाहे कार्यालय हों, शैक्षणिक संस्थान हों या ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र—में लगातार नशामुक्ति से जुड़े जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें, ताकि यह संदेश हर व्यक्ति तक पहुंच सके।
उन्होंने यह भी बताया कि अभियान के तहत जिले के सभी सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों और स्कूलों में बच्चों ने नशे के खिलाफ सामूहिक शपथ ली।
कार्यक्रम के दौरान मौजूद अधिकारियों ने भी इस प्रतिज्ञा को दोहराया कि वे किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहेंगे और समाज को इसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करेंगे। उपायुक्त ने सभी कर्मचारियों से अनुरोध किया कि वे इस अभियान को केवल सरकारी पहल न मानें, बल्कि इसे व्यक्तिगत जिम्मेदारी की तरह अपनाते हुए स्वस्थ और सुरक्षित समाज के निर्माण में योगदान दें।
नगराधीश डॉ. अनमोल ने अपने संबोधन में कहा कि नशे के दुष्प्रभावों से बचने का सबसे प्रभावी उपाय है—जागरूकता। उन्होंने कहा कि यदि परिवार, स्कूल, समाज और प्रशासन एकजुट होकर काम करें तो नशे जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करना संभव है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपने-अपने विभागों में युवाओं और नागरिकों को लगातार नशा-रोधी जानकारी देते रहें और इस अभियान को गंभीरता से लागू करें।
कार्यक्रम में डीसीपी कुशल सिंह, एसडीएम सुभाष चंद्र, डीडीपीओ मनीष मलिक, जिला शिक्षा अधिकारी नवीन गुलिया और तहसीलदार कीर्ति सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
सौहार्दपूर्ण व्यवहार व बेहतर सेवाओं का संदेश
उपायुक्त सुशील सारवान ने अलग से आयोजित प्रशासनिक बैठक में यह भी कहा कि सरकारी कार्यालय आमजन की समस्या-निवारण का मुख्य केंद्र होते हैं, इसलिए यहां आने वाले हर व्यक्ति को सम्मानपूर्ण और सौहार्दपूर्ण व्यवहार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकारी और कर्मचारी विनम्रता, धैर्य तथा जिम्मेदारी के साथ कार्य करें, ताकि किसी भी नागरिक को असुविधा न हो।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कार्यालयों में प्रक्रियाएं पारदर्शी और सरल हों, क्योंकि संवेदनशीलता और सकारात्मक व्यवहार ही किसी भी प्रशासन की पहचान होती है। उन्होंने सभी कर्मचारियों को सलाह दी कि वे जनसेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सहयोगपूर्ण माहौल बनाए रखें।

