देवेंद्र यादव ने शहरी रोजगार गारंटी लागू करने की मांग रखी
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने राजधानी में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर शहरी गरीबों के नाम एक खुला पत्र जारी किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के कमजोर तबकों को सम्मानजनक जीवन के लिए निश्चित दिनों का रोजगार मिलना चाहिए, ताकि वे दूसरों पर निर्भर न रहें और आत्मसम्मान के साथ जीवन जी सकें।
उनका कहना है कि मनरेगा की तरह शहरों में भी रोजगार का अधिकार सुनिश्चित होना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर घटने और आर्थिक मजबूरियों के कारण बड़ी संख्या में लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, लेकिन शहरी श्रमिक किसी कानूनी सुरक्षा के दायरे में नहीं आते।
यादव ने कहा कि तेज शहरीकरण, बढ़ती महंगाई, असंगठित मजदूरी, ठेकेदारी प्रणाली और फैक्ट्रियों के बंद होने से सबसे ज्यादा असर शहरी गरीबों पर पड़ा है। दिहाड़ी मजदूर, महिलाएं, युवा, रेहड़ी-फेरी वाले और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवार आज भी रोजगार की अनिश्चितता से जूझ रहे हैं।
उन्होंने शहरी रोजगार गारंटी को व्यावहारिक समाधान बताते हुए कहा कि सरकार को तय दिनों के रोजगार, समय पर मजदूरी भुगतान और काम न मिलने पर बेरोजगारी भत्ते की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, झारखंड सहित कई राज्यों के मॉडल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी योजनाओं से महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है, गरीबी घटती है और शहर अधिक स्वच्छ व सुरक्षित बनते हैं।
देवेन्द्र यादव ने स्पष्ट कहा कि शहरी रोजगार गारंटी “भीख या फ्रीबी” नहीं बल्कि संवैधानिक अधिकारों का विस्तार है। अनुच्छेद 21 सम्मानजनक जीवन का अधिकार देता है और सरकार का दायित्व है कि रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए।
उन्होंने दिल्ली के नागरिकों से अपील की कि न्यूनतम 150 दिन का काम, समय पर मजदूरी, 18 से 60 वर्ष के लोगों के लिए रोजगार सुनिश्चित करने हेतु चल रहे संघर्ष में शामिल हों। उनका विश्वास है कि शहरी गरीबों की एकता दिल्ली को न्यायपूर्ण और समावेशी समाज बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी।