डिजीटल प्रदर्शनी स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के योगदान की कर रही कहानी

सूरजकुंड (फरीदाबाद), 22 मार्च। आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में आयोजित 35वें अंतरराष्टï्रीय शिल्प मेला 2022 में हरियाणा के सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग द्वारा देश के स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के योगदान की कहानी को अभिलेखों व तस्वीरों की जुबानी लोगों तक पहुंचाने के लिए डिजीटल प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें पर्यटक स्वतंत्रता संग्राम में प्रदेश के योगदान की कहानियों को रूचि पूर्वक देख रहे हैं।

विभाग के महानिदेशक डा. अमित अग्रवाल के निर्देशानुसार शिल्प मेला के गेट नंबर-5 पर मीडिया सेंटर के साथ इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शनी में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के 28 नवंबर 1938 के ऐतिहासिक हिसार दौरे को प्रदर्शित किया गया है। सुभाषचंद्र बोस हिसार में रेलगाडी से पहुंचे थे तथा रेलवे स्टेशन पर हजारों लोगों की भीड ने अपने प्रिय नेताजी का स्वागत किया था। सुभाषचंद्र बोस ने हिसार जिला के सूचा पीडित लोगों से मुलाकात की तथा सूखे की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कष्टï पीडित लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए कहा था कि यह सूखा और दूसरी मुसीबतों का मुख्य कारण गुलामी है। उन्होंने लोगों का आह्वïान किया था कि हमें गुलामी को दूर करने के लिए कोशिश करनी चाहिए।
प्रदर्शनी में एक अन्य अभिलेख व तस्वीर के माध्यम से आजाद हिंद सरकार की उद्घोषणा को दर्शाया गया है, जिसके अनुसार द नेशनलिस्ट समाचार-पत्र में 20 अक्तूबर 1946 को प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने 21 अक्तूबर 1943 को आजाद हिंद (स्वतंत्र भारत) की प्रांतीय सरकार के गठन की उद्घोषण की, इसमें उन्होंने स्वंय को राष्टï्र का प्रमुख घोषित किया।
डिजीटल प्रदर्शनी में बल्लभगढ के राजा नाहर सिंह से जुडी घटनाओं को भी प्रदर्शित किया गया है। अभिलेखों व तस्वीरों के अनुसार राजा नाहर सिंह ने 20 जनवरी 1839 को बसंत पंचमी के दिन बल्लभगढ रियासत की बागडोर संभाली। देश में 10 मई 1857 को अंग्रेजो के विरूद्ध जनक्रांति का बिगुल बजते ही राजा नाहर सिंह इस जनक्रांति में कूद पड़े। दिल्ली के बाद हरियाणा में ब्रिटिश सरकार का दमन चक्र शुरू हुआ। राजा नाहर सिंह को 23 सितंबर 1857 को गिरफ्तार करके 6 दिसंबर को उन्हें बंदी बनाकर दिल्ली के लाल किले में कैद कर दिया। इसके पश्चात 19 दिसंबर 1857 को राजा नाहर सिंह को लाल किले के दरबारे आम में एक फौजी अदालत में पेश किया गया। अदालत ने विद्रोहियों की सहायता करने और ब्रिटिश इलाकों पर अवैध कब्जे के अरोप लगाए तथा अदालत ने राजा नाहर सिंह को दोषी करार देते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई और उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई।

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