किसानों के लिए भोपानी में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग विभाग द्वारा दिया गया प्रशिक्षण

फरीदाबाद, 07 जुलाई। उपायुक्त जितेन्द्र यादव के कुशल मार्गदर्शन में आजादी के अमृत सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव की श्रंखला में कृषि विज्ञान केन्द्र भोपानी में कृषि तथा किसान कल्याण विभाग, फरीदाबाद के सहयोग से कपास की फसल की अच्छी पैदावार कृषि क्रियाएं व समग्र सिफारिशों के लिए  जिला के कृषि तथा किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ विनोद व डॉ राजेंद्र के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।

 जलशक्ति अभियान टू के तहत किसानों को जागरूक करते हुए बताया गया कि वर्षा ऋतु अधिक से अधिक जल संरक्षण करें। ताकि भूजल स्तर ठीक रहे भूजल में गुणवत्ता बनी रहे।

 किसानों को दिए गए प्रशिक्षण में कपास फसल में गुलाबी सुंडी, चेपा, तेला, सफेद मक्खी को प्राकृतिक तरीके से की किस प्रकार रोकथाम की जाए बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया।

 कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के  वैज्ञानिकों ने बताया कि रोकथाम के तरीकों में सर्वप्रथम कपास की लकड़ी/बनछटी को जलाने पर विशेष तौर पर किसानों के समूह द्वारा किया जाना चाहिए। इससे तेला, चेपा, सफेद मक्खी पत्तों से रस चूस कर पौधों की बढ़वार, गुणवत्ता तथा उपज को कम करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि हरा तेला जुलाई अगस्त में सर्वाधिक क्षति पहुंचाता है। जबकि थ्रिप्स मई-जून में, सफेद मक्खी अगस्त सितम्बर में तथा चेपा सितम्बर-अक्टूबर में पत्तों से रस चूसकर हानि पहुंचाता है।

उन्होंने बताया कि जुलाई से अक्टूबर में गुलाबी सुंडियां फलीय भागों कलिया, फल व टिंडे पर आक्रमण करती है। फल आने पर गुलाबी सुण्डियां अंडों में से निकलने के तुरन्त बाद कलियों व बन रहे टिण्डों में घुस जाती है तथा अन्दर ही अन्दर फूल के भागों, बन रहे बीजो व कपास को काटकर खाती रहती है। जिससे प्रभावीय फलीय भाग गिर जाते हैं तथा टिंडे काने हो जाते है जो ठीक से नहीं खिलते। अगस्त के आखिर से मध्य सितम्बर के दौरान अनुकुल मौसम मिलने की अवस्था में गुलाबी सुण्डी भारी नुकसान पहुंचाती है। इसकी रोकथाम के लिए किसान भाई अप्रैल मई में गहरी जुताई करके पिछली फसल की जड़ों व डंठलो को नष्ट करे। समय पर बिजाई के द्वारा भी इसके प्रकोप से बचा जा सकता है। सुख रही टहनियों तथा गुलाबनुमा फूलों को सप्ताह में दो बार काटे व इकट्ठा करके नष्ट करे ताकि कलियों में टिण्डों पर गुलाबी सुण्डी का प्रकोप कम हो। गुलाबी सुंडी से प्रभावित कलियों फूलों व टिण्डो को गहरा दवा दे। फसल पकते समय अर्थात अक्टूबर महीने के गुलाबी सुंडी का प्रकोप हो सकता है। इसलिए आवश्यकता अनुसार कीटनाशक का छिड़काव करें बारे किसानों को  विस्तारपूर्वक समझाया गया।

प्रशिक्षण में कृषि विभाग के उप कृषि निर्देशक  डॉ विरेन्द्र देव आर्य, डॉ मंजीत सिंह उप मण्डल कृषि अधिकारी, बल्लबगढ़, डा० संगीता मल्होत्रा, तकनीकी सहायक व  डॉ आनन्द मेहरा,  डॉ अरुण दहिया, डॉ मित्तल, बीटीएम तथा एटीएम व कृषि सुपरवाईजरो ने भाग लिया गया।

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