डीसी जितेन्द्र यादव ने डीवार्मिंग सप्ताह को लेकर जिला परिवार नियोजन की आयोजित बैठक में दिए दिशा-निर्देश

फरीदाबाद, 10 मई। उपायुक्त जितेन्द्र यादव ने कहा कि सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत जिला में 23 से 29 मई तक आयोजित किए जाने वाले डीवार्मिंग सप्ताह को लेकर राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन  सभी विभागों के अधिकारी आपसी तालमेल कर पूरा करना सुनिश्चित करें। डीसी जितेन्द्र यादव जिला परिवार नियोजन की बैठक की अध्यक्षता कर अधिकारियो को दिशा-निर्देश दे रहे थे।

डीसी जितेन्द्र यादव ने कहा कि डीवार्मिंग सप्ताह के दौरान 1-19 वर्ष तक के बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाई जाएगी। इस अभियान के तहत जिले के आशा, एएनएम व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कोविड-19 के सभी सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए घर-घर जाकर 1-19 वर्ष सभी बच्चों को निशुल्क कृमि मुक्ति दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि  अनुपस्थिति में माता-पिता या अभिभावकों को किसी भी परिस्थिति में अल्बेंडाजोल की गोली बाद में खिलाने के लिए नहीं दी जाएगी।

बैठक में डीसी जितेन्द्र यादव ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में भारत दुनिया में पहला देश है। जिसने वर्ष 1952 में परिवार नियोजन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया था। ऐतिहासिक शुरूआत के बाद से परिवार नियोजन कार्यक्रम में नीतियों और वास्तविक कार्यक्रम क्रियान्वयन के अनुसार परिवर्तन किया है तथा वर्तमान में इस कार्यक्रम को न केवल जनसंख्या स्थिरीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पुनर्स्थापित किया गया है। बल्कि यह कार्यक्रम प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा भी देता है। इसके साथ-साथ मातृ, शिशु और बाल मृत्यु दर एवं रोग दर को भी कम करता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र स्वास्थ्य प्रणाली के अंतर्गत कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर परिवार नियोजन सेवाएं प्रदान करता है।

– क्या है मिशन परिवार विकास योजना

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2016 में “मिशन परिवार विकास” की शुरूआत की थी। मिशन परिवार विकास सर्वाधिक कुल प्रजनन दर वाले देश के सात राज्यों के जिलों में शुरू किया गया था। ये सात राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम हैं। इन सात राज्यों के उच्च प्रजनन वाले 146 जिलों में स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों पर गर्भ निरोधक तरीकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विशेष ध्यान दिया गया है।

– इसका लक्ष्य

इसका समग्र लक्ष्य भारत की कुल प्रजनन दर को वर्ष 2025 तक 2.1 तक कम करना है।

 उद्देश्य- इस मिशन का मुख्य रणनीति फोकस सुनिश्चित सेवाओं की उपलब्धता, नई प्रोत्साहन योजनाओं, सेवा प्रदाताओं के क्षमता निर्माण, कारगर माहौल निर्माण, निगरानी और कार्यान्वयन के माध्यम से गर्भ निरोधकों तक पहुंच में सुधार करना है।

– मुख्य रणनीतियों में ये विषय शामिल हैं

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बढ़ते हुई गर्भ निरोधकों की जरूरतों को देखते हुए दो नए विकल्प उपलब्ध करवाए है। नए गर्भ निरोधकों, जिसमें ‘अंतरा’ कार्यक्रम के तहत इंजेक्शन गर्भनिरोधक एमपीए और गर्भनिरोधक गोली ‘छाया’ (पहले सहेली के नाम से जानी जाती थी) की शुरुआत की है। ये गर्भ निरोधक वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध हैं। आईयूसीडी जैसी अंतर पद्यति पर बल देना।शप्रसव उपरांत परिवार नियोजन सुविधाएं बढ़ाना जिसके तहत संस्थागत प्रसव में पीपीआईयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रा यूटेराइन कोंट्रासेप्टिव डिवाइस) पर जोर देना। उच्च संस्थागत प्रसव सुविधा केंद्रों पर सलाहकारों की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। परिवार नियोजन पर मांग बढ़ाने और जागरूकता उत्पन्न करने के लिए आशा और केंद्रित आईईसी/बीसीसी प्रयासों को शामिल करके गर्भ निरोधकों के समुदाय आधारित वितरण को सुदृढ़ बनाना। सभी सुविधा केंद्रों में निर्धारित स्थिरीकरण दिवस पर सेवाओं की उपलब्धता

साधनों की सरलता के कारण मिनीलाप ट्यूबक्टोमी सेवाओं पर जोर देना तथा स्त्री रोग विशेषज्ञों/शल्य चिकित्सकों के बजाए केवल एमबीबीएस चिकित्सकों की आवश्यकता लेना।

उचित मानव संसाधन विकास योजना के तहत आईयूसीडी, मिनीलाप और एनएसवी लगाने के लिए डीएच, सीएचसी, पीएचसी, एसएचसी में कम से कम एक प्रदाता होना चाहिए तथा उप-केंद्र में एएनएम को आईयूडी के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। जिला एवं राज्य स्तर पर गुणवत्ता आश्वासन समितियों की स्थापना द्वारा परिवार नियोजन सेवाओं में गुणवत्ता देखभाल सुनिश्चित करना तथा पीपीपी के अंतर्गत परिवार नियोजन सेवाओं के लिए अधिक मान्यता प्राप्त निजी/एनजीओ प्रदाता वृद्धि के लिए योजनाएं शामिल हैं।  पुरुष भागीदारी और पुरुष बन्ध्याकरण या बिना चीरा पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहन देना।  विभिन्न सुविधाओं में पोस्टर, सूचना-पट्ट (होर्डिंग) और अन्य श्रव्य (ऑडियो) तथा दृश्य (वीडियो) सामग्री के रूप में जन जागरूकता गतिविधियों के आयोजन के लिए योजना और बजट बनाना। उच्चतम स्तर पर सुदृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता, विशेकर उच्च प्रजनन दर वाले क्षेत्र शामिल हैं।

– हम दो

हम दो (/humdo.nhp.gov.in/) के माध्यम से राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम का उद्देश्य व्यक्तिगत और दम्पतियों को स्वस्थ, खुशहाल और सम्पन्नतापूर्ण जीवन की सुनिश्चितता उपलब्धता करवाने के लिए पात्र दम्पति को परिवार नियोजन पद्यतियों और उपलब्ध सेवाओं पर जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान करना है।

जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ विनय गुप्ता ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने जिले के सभी ग्राीमण व शहरी क्षेत्र के 1-19 वर्ष के बच्चों को इस अभियान के लिए चिन्हित कर लिया है। कृमि मुक्ति सप्ताह आयोजित करने के लिए 23 से 27 मई तक एल्बेंडाजोल की एक गोली सभी एक वर्ष से 19 वर्ष की उम्र के बच्चों को दी जाएगी। इसके अलावा जो बच्चे किसी कारणवष 23 से 27 मई तक दवा खाने से छूट जाएंगे।  उन्हें 28 से 29 मई तक माॅप-अप राउंड के तहत यह दवा खिलाई जाएगी।

उन्होंने बताया कि  बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सभी विभाग आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए कृमि मुक्ति सप्ताह में 1 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को दवा खिलाना सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि माता-पिता भी अपने बच्चों को दवा खिलाकर उनका अच्छा स्वास्थ्य एवं उज्जवल भविष्य बनाने के लिए इस कार्यक्रम में पूर्ण सहयोग दें।

बैठक में बताया गया कि कृमि संक्रमण से बचाव के लिए प्रत्येक वर्ष में दो बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अल्बेंडाजोल की खुराक बच्चों को दी जाती है। कृमि संक्रमण से बच्चों में कुपोषण और खून की कमी होती है तथा थकावट होना, पढाई में मन न लगना आदि व अधिक कृमि होने से जी मिचलाना, दस्त, पेट दर्द, कमजोरी, भूख न लगना जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसके लिए हमेशा साफ पानी पिए, खाना ढंक कर रखें, खुले में शौच न करें और हमेशा शौचालय का प्रयोग ही करें। इसके साथ-साथ जब भी सरकार द्वारा कृमि मुक्ति की दवा खिलाई जाए वह सभी बच्चे समयानुसार लें।

इस अवसर पर 1-7 मई तक अनीमिया उन्मूलन सप्ताह के दौरान जिला में अनीमिया उन्मूलन के लिए चलाई गई विभिन्न गतिविधियों की जानकारी भी दी गई। बैठक में बताया गया  कि किशोरियों में अनीमिया की अधिक समस्या रहती है। आयरन फाॅलिक ऐसिड सप्लीमेंटेशन और उचित खान-पान से अनीमिया से बचा जा सकता है। बैठक में गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं व नवजात शिशुाओं को सामुदायिक सहभागिता से उच्च स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए शुरू की गई सुरक्षा मातृत्व आश्वासन (सुमन) कार्यक्रम के तहत दी जा रही सुविधाओं की भी समीक्षा की गई। 

बैठक में एसडीएम बङखल पंकज सेतिया, सीटीएम नसीब कुमार, सीएमओ डॉ विनय गुप्ता  उप सिविल सर्जन डॉ. मोहित वासुदेव, कार्यकारी अभियंता गजेन्द्र सिंह सहित स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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