फरीदाबाद, 13 मार्च। एडीसी अपराजिता ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में लंबित पर्यावरण के केसों का निपटान एनजीटी के दिशा-निर्देशों की अनुपालना करते हुए गंभीरता से पूरा करें तथा जिस भी विभाग की जो भी जिम्मेदारी है उसे पूरा करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जिला में सभी प्रकार के प्रदूषणों की रोकथाम के लिए सभी नियमों की पालना सुनिश्चित करें।
अतिरिक्त उपायुक्त अपराजिता ने आज बुधवार लघु सचिवालय के बैठक कक्ष में एनजीटी में लंबित केसों की समीक्षा करते हुए यह दिशा-निर्देश दिए। बैठक में एसडीएम बल्लभगढ़ त्रिलोक चंद, डीडीपीओ राकेश मोर, जिला राजस्व अधिकारी बिजेन्द्र राणा, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से दिनेश कुमार, उपायुक्त कार्यालय में कार्यरत एडीए नैना वशिष्ठ, एमसीएफ के एडीए राहुल दहिया, एमसीएफ के एक्सईएन सुशील कुमार सहित संबंधित विभागों के तमाम अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।
आपकों बता दें 18 अक्तूबर 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत पर्यावरण बचाव और वन संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधन सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन और क्षतिग्रस्त व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिए अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करना और इससे जुडे़ हुए मामलों का प्रभावशाली तथा तीव्र गति से निपटारा करने के लिए किया गया है। यह एक विशिष्ट निकाय है जो कि पर्यावरण विवादों बहु-अनुशासनिक मामलों सहित, सुविज्ञता से संचालित करने के लिए सभी आवश्यक तंत्रों से सुसज्जित है। यह अधिकरण 1908 के नागरिक कार्यविधि के द्वारा दिए गए कार्यविधि से प्रतिबद्ध नहीं है। लेकिन प्रकृतिक न्याय सिद्धांतों से निर्देशित है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के कार्य
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के कार्य में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों का निपटारा करना, उन सभी मामलों की सुनवाई करना जो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण से संबंधित हो, पर्यावरण प्रदूषण या अन्य किसी प्रकार की क्षति से उसकी सुरक्षा करना, पर्यावरण की सुरक्षा संरक्षण तथा उसका संवर्धन करना, पर्यावरण से संबंधित नियमों का पालन न करने वाले लोगों को आर्थिक एवं कारावास से दंडित करना है। इसके निर्णय या आदेशों के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में 90 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है।
एनजीटी/राष्ट्रीय हरित अधिकरण की शक्तियां
एनजीटी का न्यायिक क्षेत्र अधिक विस्तारपूर्वक है। यहां उन सभी मामलों की सुनवाई की जाती है, जो पर्यावरण से संबंधित होते हैं। इसे सिविल न्यायालय की शक्तियां भी प्राप्त है।