विदेशी सांस्कृतिक टीमों की प्रस्तुतियों ने भी दर्शकों पर छोडी अमिट छाप

सूरजकुंड (फरीदाबाद), 21 मार्च। सूरजकुंड अंतरराष्टï्रीय शिल्प मेले में मुख्य चौपाल में लगातार विभिन्न देशों व प्रदेशों की लोक संस्कृतियों से सराबोर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दर्शक खूब लुत्फ उठा रहे हैं। हरियाणवी नृत्य के साथ-साथ राजस्थानी कालबेलिया नृत्य पर दर्शक मंत्र मुग्ध रहे बिना नहीं रह सके। उत्तराखंड देवभूमि के लोक नृत्य छपैली की प्रस्तुति ने भी दर्शकों की खूब तालियां बटोरीं। हरियाणा की बेटियों ने शानदार लोक नृत्य के माध्यम से संदेश दिया कि बदल्या वक्त, सोच बदलेगी, बेटी भी अम्बर चूमेगी।
35वें सूरजकुंड अंतरराष्टï्रीय शिल्प मेले के तीसरे दिन छोटी चौपाल पर हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड राज्यों के साथ-साथ जिम्बाबवे, घाना, तंजानियां की संस्कृति टीमों ने अपने-अपने प्रसिद्ध लोक नृत्यों की शानदार प्रस्तुतियां दी। हरियाणा के कला एवं संस्कृति विभाग की सुनिल कौशिक नाट्य-नृत्य एकादमी ने बेटा-बेटी में भेदभाव की मानसिक सोच को बदलने पर आधारित प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में लडक़ी का जन्म होने पर थाली बजाकर नृत्य के माध्यम से खुशी का इजहार किया गया।
हरियाणा में लडक़े के जन्म पर प्राचीन समय से थाली बजाने की परम्परा रही है। आज इस परम्परा को तोडने का समय आ चुका है तथा लडक़ी के जन्म पर भी ऐसी ही खुशियों मनाई जाने लगी हैं। लडका-लडकी में भेदभाव की लोगों की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है जो समाज के हित में सकारात्मक पहलू है। आज विश्व में लड़कियां सभी क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं तथा वे अब लडकों से कहीं भी पीछे नहीं रह गई हैं। यह सब अंजलि, सोनम, पूजा, निशा, मैना कौशिक आदि ने अपने लोक नृत्य के माध्यम से सफलतापूर्वक संदेश दिया है।

राजस्थानी कलाकारों संगीता, शारदा, पुष्पा व खाटू सफेरा ने राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्य कालबेलिया की शानदार प्रस्तुति दी। यह नृत्य किसी भी शुभ कार्य के अवसर पर किया जाता है। उत्तराखंड के ललित बिष्ट की टीम में शामिल साक्षी, भावना, सौम्या, कविता, नरेंद्र, अक्षय, कमलेश कुमार, शीला, अरशद अंसारी ने उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक नृत्य छपैली की भव्य प्रस्तुति से दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं आंचल का यह एक पारम्परिक लोक नृत्य है, जो महिला और पुरूषों द्वारा धार्मिक अनुष्ठïानों में किया जाता है। इसमें पुरूष हुडका वादन करते हुए महिलाओं की सुंदरता का बखान करता है। यह नृत्य उत्साह व उमंग के साथ किया जाता है, जिससे दर्शकों में भी नई ऊर्जा का संचार होता है।

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