
नई दिल्ली, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय, राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन और पूर्व विधायक श्री अनिल भारद्वाज ने कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि भारतीय नागरिकों के संवैधानिक और सामाजिक सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण साधन है। उन्होंने चेताया कि आरटीआई की कमजोर स्थिति सीधे लोकतंत्र की मजबूती पर असर डालती है।
श्री भारद्वाज ने बताया कि 2005 में यूपीए सरकार के नेतृत्व में लागू यह कानून प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था। लेकिन 2014 के बाद मौजूदा केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन कर इसकी स्वतंत्रता कम कर दी है। 2019 के संशोधनों ने सूचना आयोगों की स्वायत्तता और आयुक्तों के कार्यकाल को प्रभावित किया, जबकि 2023 के डिजिटल डेटा कानून ने कई जनहित सूचनाओं को ‘निजी’ घोषित कर उनके सार्वजनिक प्रकटीकरण पर रोक लगा दी।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों में रिक्त पदों की भरपाई नहीं होने से लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जून 2024 तक 29 आयोगों में लगभग 4,05,000 शिकायतें लंबित थीं और केवल केंद्रीय सूचना आयोग में नवंबर 2024 तक 23,000 मामले लंबित थे।
अनिल भारद्वाज ने भाजपा सरकार से मांग की कि 2019 के संशोधनों को वापस लेकर आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जाए, आयुक्तों के कार्यकाल और सेवा शर्तें सुरक्षित हों, और डिजिटल डेटा कानून में सुधार किया जाए। साथ ही, व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट को लागू किया जाए और आयोगों में विविध प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि आरटीआई भारत के सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक सुधारों में से एक है और इसकी 20वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस इस कानून की रक्षा और सशक्तिकरण के अपने संकल्प को दोहराती है, ताकि हर नागरिक निडर होकर सवाल पूछ सके और समयबद्ध उत्तर प्राप्त कर सके।