सोनीपत, 07 नवम्बर।
एसआरएम यूनिवर्सिटी दिल्ली-एनसीआर, सोनीपत का तीसरा दीक्षांत समारोह आज उत्साह, गरिमा और प्रेरणा के माहौल में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने की। उन्होंने स्नातक, परास्नातक और शोधार्थी छात्रों को उपाधियाँ प्रदान करते हुए उन्हें समाज व राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहने का आह्वान किया।
अपने प्रेरणादायक संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि नैतिकता, अनुशासन और सेवा भाव का विकास है। उन्होंने छात्रों को याद दिलाया कि डिग्री किसी यात्रा का अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत होती है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि असफलताओं से डरें नहीं, उनसे सीखें और समाजहित में अपने ज्ञान का उपयोग करें।
श्री राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना करते हुए कहा कि यह नीति भारतीय शिक्षा को अधिक लचीला, अनुसंधान-उन्मुख और बहुविषयी बना रही है। अब विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार विषय चुन सकते हैं, जिससे उनमें सृजनशीलता और आत्मनिर्भरता का विकास हो रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार के प्रयासों से उच्च शिक्षा में वंचित तबकों और महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
उन्होंने आंकड़ों के हवाले से बताया कि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों के नामांकन में 2018 के 15 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 27 प्रतिशत तक का सुधार हुआ है, जबकि महिला भागीदारी 24.5 से बढ़कर 28.1 प्रतिशत हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों का रुझान भी लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह समावेशी शिक्षा भारत के सशक्त भविष्य की नींव रख रही है।
विश्व स्तर पर भारत के विश्वविद्यालयों की बढ़ती प्रतिष्ठा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग में भारत के 54 संस्थान शामिल हुए हैं, जबकि 2016 में यह संख्या मात्र 21 थी। यह प्रगति हमारे शैक्षणिक मानकों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की क्षमता को दर्शाती है।
विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि “सिर्फ डिग्री नहीं, बल्कि चरित्र, मूल्य और संतुलन ही सच्ची सफलता का आधार हैं।” उन्होंने कहा, “धन खोने से कुछ नहीं जाता, परंतु चरित्र खोने से सब कुछ चला जाता है।”
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास की भावना अपनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा—“उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”
समारोह की शुरुआत अकादमिक शोभायात्रा और राष्ट्रगान से हुई। कुलपति प्रो. (डॉ.) परमजीत एस जसवाल ने वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की और शिक्षण, अनुसंधान व सामाजिक सेवा में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का विवरण दिया।
कार्यक्रम में 25 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियाँ प्रदान की गईं। साथ ही, समाजसेवी और शिक्षाविद् प्रो. अच्युत सामंत (संस्थापक – KISS और KIIT यूनिवर्सिटी) एवं उद्योगपति एस.के.एम. मायलानंधन (संस्थापक – एसकेएम समूह) को मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर एसआरएमआईएसटी चेन्नई के संस्थापक कुलाधिपति डॉ. टी.आर. पारिवेंधर ने कहा कि “शिक्षा तब ही सार्थक होती है जब वह समाज के कल्याण में उपयोगी सिद्ध हो।” उन्होंने मेहनत, निष्ठा और जिम्मेदारी को सफलता की असली कुंजी बताया।
समारोह में हरियाणा सरकार के विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पवार, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बडौली, चांसलर डॉ. रवि पचमुथु, उपाध्यक्ष पद्मप्रिय रवि और कुलपति प्रो. (डॉ.) परमजीत सिंह जसवाल सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

