
पलवल, 02 जुलाई। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करते हुए उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने कहा कि जमीन को जिंदा रखने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन बेहद जरूरी है। किसानों को किसी भी स्थिति में फसल अवशेष नहीं जलाने चाहिए। अवशेषों को खेतों में ही उपयोग करना चाहिए। साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन के तहत सरकारी की लाभकारी योजनाओं का पूर्ण लाभ उठाना चाहिए।
लघु सचिवालय में बुधवार को फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ कर रहे थे। उपायुक्त ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे फसल अवशेष प्रबंधन से होने वाले फायदों के प्रति किसानों को जागरूक करें। इस कार्य में अन्य विभागीय अधिकारी भी कृषि विभाग को पूर्ण सहयोग करें। किसानों को पराली नहीं जलानी चाहिए। ऐसा करके वे लाभकारी योजनाओं का फायदा उठा सकते हैं।
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने धान की फसल कटाई उपरांत उसके अवशेषों में आगजनी को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि किसानों को दंडित करना प्रशासन का उद्देश्य नहीं है, बल्कि कृषि नवाचार तथा सभी विभागीय अधिकारियों के सहयोग से पर्यावरण हितैषी विकल्पों को अपनाते हुए समस्या का समाधान करना है। आम-जनमानस का भी यही दायित्व बनता है कि वातावरण प्रदूषण रोकने के साथ-साथ मृदा के स्वास्थ्य को बनाए रखने में वे अपना योगदान दें।
उपायुक्त ने कहा कि मेरा पानी मेरी विरासत योजना को अपनाकर भी किसान फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा दें। फसल विविधिकरण के अंतर्गत धान की फसल को छोडक़र कोई भी दलहन, तिलहन, चारी-चारा, मक्का, कपास, फल, सब्जी यहां तक की खेत को खाली छोडऩे पर भी सरकार की ओर से 8 हजार रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि किसानों को दी जाएगी, जिसका मुख्य उद्देश्य धान की फसल के स्थान पर अन्य फसलों को बढ़ावा देते हुए पानी की बचत करना है। साथ ही धान की फसल कटाई उपरांत उसके अवशेषों में आगजनी के कारण होने वाले प्रदूषण को रोकना है। उन्होंने कहा कि यदि किसान को धान की बिजाई करनी ही है तो किसान सीधी बिजाई पद्धति के माध्यम से बिजाई करें, जिससे 50 प्रतिशत जल की बचत होती है और जल्दी बिजाई होने के कारण अगली फसल बिजाई के लिए प्र्याप्त समय मिल जाता है। साथ ही कम अवधि में पकने वाले धान की किस्मों जैसे पीआर 126, पूसा सुगंध 5, पूसा 1612, दुबराज, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1847 जैसी बासमती व अबासमती किस्मों का चयन करें जिससे फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसान को पर्याप्त समय मिल जाता है, जिससे फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं को रोका जा सकता है।
बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप-निदेशक डा. अनिल सहरावत ने विस्तार से फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गत वर्ष की भांति सरकार द्वारा इस वर्ष भी पराली में आगजनी न करके उसका इन-सीटू/एक्स-सीटू के माध्यम से प्रबंधन करने वाले किसानों को 1200 रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। उप-कृषि निदेशक द्वारा आश्वासन दिया गया कि किसानों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाएगा।
बैठक में एसडीएम ज्योति, एसडीएम बलीना, नगराधीश अप्रतिम सिंह, डीएसपी अनिल कुमार, उप-निदेशक कृषि डा. अनिल सहरावत, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपनिदेशक डा. विरेंद्र सहरावत, डीडीपीओ उपमा अरोड़ा, सहित संबंधित अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।