
पलवल, झज्जर (बहादुरगढ़) की माही ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और अब वे नेटबॉल में नए खिलाड़ियों को तराशने में जुटी हैं। माही का सपना है कि नेटबॉल को भारत में एक अलग मुकाम दिलाया जाए। इसके लिए वे जरूरतमंद प्रतिभाओं को नि:शुल्क कोचिंग दे रही हैं।
28 से 31 अगस्त तक पलवल में आयोजित होने वाली नेशनल नेटबॉल प्रतियोगिता में माही भी हिस्सा लेंगी। उन्होंने अपने खेल की शुरुआत छठी कक्षा में की थी। पिता हरियाणा पुलिस में एएसआई और माता शॉटपुट खिलाड़ी होने के कारण उन्हें खेलों का माहौल परिवार से ही मिला। बड़े भाई देवदत्त तायक्वांडो खिलाड़ी हैं और छोटा भाई ध्रुव भी खेलों में नाम कमाना चाहता है।
नेटबॉल में माही ऑल-राउंडर और डिफेंडर दोनों भूमिकाओं में टीम की रीढ़ मानी जाती हैं। जिला स्तर पर 15 स्वर्ण पदक, राज्य स्तर पर 2 स्वर्ण और राष्ट्रीय स्तर पर 5 स्वर्ण पदक उनके नाम हैं। सीनियर नेशनल में तीन स्वर्ण व दो कांस्य, जूनियर नेशनल में तीन स्वर्ण व एक कांस्य, और सब-जूनियर में तीन स्वर्ण पदक माही के खाते में हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माही ने 2024 में बंगलौर में सीनियर एशियन नेशनल में भाग लिया, 2025 में हांगकांग के बुहानिया कप में रजत पदक जीता और साउथ कोरिया में हुई एशियन यूथ चैंपियनशिप में टीम का हिस्सा रही। नेटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें 2024 में सिंगापुर अंपायर ट्रेनिंग के लिए भेजा। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद माही देश की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला अंपायर बनीं और मर्सिक्स कप में अंपायरिंग का अवसर मिला।
आज माही खेल के साथ-साथ एनएएसएम नोएडा से स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में बीबीए कर रही हैं। वे अपने गांव याकूबपुर में बच्चों को नि:शुल्क कोचिंग देती हैं और विशेष रूप से जरूरतमंद खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का मौका देती हैं। उनका उद्देश्य है कि भारत में नेटबॉल को पहचान दिलाई जाए और अधिक से अधिक युवा इस खेल में शामिल हों।