
पलवल, उपायुक्त डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ ने नागरिकों से भारत के राज्य-चिह्न — जो राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और संवैधानिक गरिमा का प्रतीक है — के अनुचित इस्तेमाल से बचने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बिना अनुमति इसे निजी वाहनों, लेटरहेड और साइनबोर्ड पर दर्शाना गंभीर कानूनी उल्लंघन है और इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि यह चिह्न, जो अशोक स्तंभ के सिंह-स्तंभ पर आधारित है, केवल अधिकृत सरकारी संस्थाओं द्वारा ही उपयोग किया जा सकता है। भारत के राज्य प्रतीक चिन्ह (अनुचित प्रयोग निषेध) अधिनियम, 2005 और 2007 के विनियमों के अनुसार, इसका निजी प्रयोग पूर्णतः प्रतिबंधित और दंडनीय है।
गृह मंत्रालय की ताज़ा हिदायतों के आधार पर, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय प्रतीकों की मर्यादा बनाए रखने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। इस मुहिम में स्कूलों, कॉलेजों और लॉ संस्थानों में कानून व संविधान से जुड़े जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
डॉ. वशिष्ठ ने बताया कि यातायात पुलिस को इस मुद्दे पर विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वाहनों पर प्रतीक चिह्न के दुरुपयोग की पहचान कर शीघ्र कार्रवाई की जा सके। सरकार इसके लिए शिकायत समाधान मंच व हेल्पलाइन शुरू करने पर भी कार्य कर रही है।
उन्होंने विभागों को निर्देश दिए हैं कि नागरिकों को इस विषय में जागरूक किया जाए और बताया जाए कि इस चिह्न का दुरुपयोग सिर्फ कानून तोड़ना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मूल्यों का अपमान भी है। उन्होंने सभी से अपील की कि वे जिम्मेदारी से व्यवहार करें और राष्ट्र की गरिमा को सुरक्षित रखने में योगदान दें।