
चंडीगढ़— हरियाणा में भूमि रिकॉर्ड को पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए, राज्य के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में भूमि प्रबंधन को पारदर्शी, नागरिक-केंद्रित और आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित बनाने के लिए विस्तृत योजनाओं पर चर्चा हुई।
प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में जोर दिया गया कि लैंड रिकॉर्ड सिस्टम को आम लोगों और कारोबारियों दोनों के लिए उपयोग में आसान बनाया जाए। रिपोर्ट में निवेशकों के लिए सहूलियत और नागरिकों के लिए ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही गई।
डिजिटलीकरण की स्थिति पर बोलते हुए मंत्री ने बताया कि राज्य में 90% भूमि रिकॉर्ड पहले ही डिजिटल हो चुके हैं। शेष 10% को जल्द ही कवर करने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। इससे न केवल संपत्ति विवाद कम होंगे, बल्कि लोग घर बैठे अपने दस्तावेज़ ऑनलाइन हासिल कर सकेंगे।
डाटा इंटिग्रेशन सेंटर की योजना पर मंत्री ने कहा कि एक समर्पित डाटा सेंटर तैयार किया जाएगा, जो सभी भूमि रिकॉर्ड को सुरक्षित ढंग से संग्रहीत करेगा और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को सरल बनाएगा। उन्होंने साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक तकनीकों से इस सेंटर को लैस करने के निर्देश दिए।
कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर फोकस करते हुए गोयल ने कहा कि पटवारी सहित सभी संबंधित कर्मचारियों को डिजिटल सिस्टम, सॉफ्टवेयर हैंडलिंग और नागरिक सेवाओं में दक्ष बनाने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें भूमि सर्वेक्षण, रिकॉर्ड अपडेट और शिकायत समाधान जैसे अहम पहलू शामिल होंगे।
मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि इन कदमों का मकसद सिर्फ डिजिटलीकरण नहीं, बल्कि प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाना, सेवा वितरण को तेज और भरोसेमंद बनाना और राज्य को निवेश के लिए और अधिक आकर्षक बनाना है।
इस बैठक में वरिष्ठ अधिकारी, जिनमें वित्तायुक्त (राजस्व) सुमिता मिश्रा और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी वी.एस. कुंडू भी शामिल थे, उन्होंने भी अपने सुझाव साझा किए।