कृषि के साथ-साथ पशुपालन एक लाभकारी व्यवसाय : डीसी नेहा सिंह

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पलवल, 01 मार्च। जिला उपायुक्त नेहा सिंह ने बताया कि कृषि कार्यों के साथ-साथ पशुपालन एक लाभकारी सहायक कृषि कार्य है। सीमांत किसानों, बेरोजगार युवाओं को भी पशुपालन व्यवसाय अपनाना चाहिए। सभी पशु चिकित्सकों की सलाह से पशुपालन करें। पशु पालन एवं डेयरिंग विभाग की योजनाओं का लाभ उठाएं। पशु चिकित्सकों की सलाह पर अपने पशुओं में रोगों की रोकथाम के लिए समय-समय पर टीकाकरण करवाएं।
पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग के उप-निदेशक डा. वीरेंद्र सिंह ने विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि उपायुक्त नेहा सिंह के दिशा-निर्देशानुसार जिला में पशु पालन का कार्य सुचारू रूप से करने के लिए समय-समय पर किसानों को जागरूक किया जाता है।
उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान पलवल जिला क्षेत्र में कुल 01 लाख 48 हजार 264 दुधारू पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया गया, जिनमें कुल 01 लाख 19 हजार 191 भैंस व कुल 29 हजार 73 गाय शामिल हैं।
जिला क्षेत्र में पशुओं को भेड़ माता रोग के 08 हजार, इन्टीरो टॉक्सिनिया वैक्सिनेशन के 21 हजार 250, पी.पी.आर. के 03 हजार 700 तथा 2 लाख 54 हजार 615 पशुओं को मुंह खुर के टीके लगाकर रोगमुक्त किया गया।
उप-निदेशक ने बताया कि जिला क्षेत्र में विभाग की ओर से अनुसूचित जाति योजना के अंतर्गत आवेदकों की मांग के अनुरूप 02 सूकर यूनिट, 30 भेड़-बकरी यूनिट, 79 मिलच ऐनिमल दुधारू यूनिट की स्थापना की गई। समेकित मुर्रा विकास योजना के अंतर्गत मुर्रा नस्ल की 09 भैंस, हरियाणा नस्ल की 22 गाय, साहिवाल नस्ल की 15 गाय का चयन किया गया है। चालू वित्त वर्ष के दौरान जिला में 23 हाईटेक एंड मिनी डेयरी यूनिट (सामान्य) स्थापित की गई। इसके अलावा पशुओं के बांझपन के इलाज के लिए 36 कैंप लगाए गए।

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